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ईरान के शाह ने नसीरूद्दीन को भारत का राजदूत नियुक्त किया, जिससे दरबारी ईर्ष्या से जल उठे और उसे नीचा दिखाने की साजिश रची।
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दरबारियों ने नसीरूद्दीन के घर से कीमती उपहार चुरा लिए और बदले में मिट्टी, कंकड़ और पत्थर भर दिए।
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नसीरूद्दीन ने भारत के बादशाह को उपहार के रूप में मिट्टी प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह ईरान की धरती की मिट्टी है, और बाकी सारा ईरान आपके लिए है।
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नसीरूद्दीन ने चतुराई से भारत के बादशाह को समझाया कि ईरान की धरती के अलावा सब कुछ आपके लिए है, जिससे बादशाह ने ईरान पर हमला करने का विचार छोड़ दिया।
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नसीरूद्दीन ने बादशाह को पूरा चांद और शाह को नया चांद बताया, जिससे भारत और ईरान के बीच दोस्ती हो गई।
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ईरान लौटने पर शाह ने नसीरूद्दीन से गधे को दरबार में ले जाने और मिट्टी देने के बारे में पूछा,
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जिसे नसीरूद्दीन ने समझदारी से समझाया।
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दरबारियों की साजिश का पर्दाफाश होने पर शाह ने दोषी दरबारियों को कड़ी सजा दी और नसीरूद्दीन को पुरस्कृत किया।
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कहानी से सीख मिलती है कि कठिन परिस्थितियों में घबराने के बजाय धैर्य और सूझबूझ से काम लेना चाहिए।
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