Moral Story: कच्चा-पक्का

Jun 11, 2025, 11:56 AM

कच्चा-पक्का

संत दादू दयाल अपनी सादगी और सहनशीलता के लिए प्रसिद्ध थे और फटे-पुराने वस्त्र पहने एक पेड़ की छाया में काम कर रहे थे।

कच्चा-पक्का

एक अहंकारी थानेदार घोड़े पर सवार होकर संत दादू के दर्शन के लिए आया लेकिन उन्हें पहचान नहीं पाया और उन्हें अपमानजनक भाषा में संबोधित किया।

कच्चा-पक्का

संत दादू ने थानेदार की बात का कोई जवाब नहीं दिया और शांतिपूर्वक अपना काम करते रहे, जिससे थानेदार को गुस्सा आया और वह गालियां देते हुए आगे बढ़ गया।

कच्चा-पक्का

बाद में थानेदार को पता चला कि वह व्यक्ति वास्तव में संत दादू दयाल ही थे, जिन्हें उसने कुछ देर पहले अपशब्द कहे थे।

कच्चा-पक्का

थानेदार ने अपनी गलती पर पछतावा किया और संत दादू से माफी मांगी, यह कहते हुए कि वह उन्हें अपना गुरु बनाना चाहता था।

कच्चा-पक्का

संत दादू ने मुस्कुराते हुए कहा कि किसी को गुरु बनाने से पहले उसे परखना चाहिए, जैसे कोई घड़ा खरीदने से पहले उसे ठोक-बजाकर देखता है।

कच्चा-पक्का

संत दादू ने थानेदार की गलती को समझा और उसे क्षमा कर दिया, यह बताते हुए कि उसने कुछ गलत नहीं किया।

कच्चा-पक्का

थानेदार ने भविष्य में किसी से दुर्व्यवहार न करने की कसम खाई,

कच्चा-पक्का

इस घटना से उसे एक महत्वपूर्ण सीख मिली।