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एक राजा को अपने महल के लिए एक समझदार और ईमानदार नौकर की आवश्यकता थी। तीन उम्मीदवार आए, जिनमें से एक दो टके का, दूसरा सौ रुपये का और तीसरा हजार रुपये मासिक वेतन का था।
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वजीर ने राजा को सुझाव दिया कि हजार रुपये का आदमी ही इस महत्वपूर्ण नौकरी के लिए उचित रहेगा, लेकिन राजा ने दो टके का आदमी चुना क्योंकि वह सस्ता था।
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दो टके का आदमी गुप्त बातें सुनकर उन्हें सबके सामने दोहराने लगा, जिससे दुश्मनों को राजा की सेना की कमजोरी का पता चल गया और उन पर आक्रमण हुआ।
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राजा ने दो टके के आदमी को नौकरी से निकाल दिया और सौ रुपये का आदमी रखा। उसे रात में पहरा देने की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन उसने लापरवाही दिखाई और सो गया।
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चोरों ने इसका फायदा उठाकर खजाना लूट लिया। राजा ने इस आदमी को भी निकाल दिया और वजीर के सुझाव पर हजार रुपये के आदमी को रखा।
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हजार रुपये के आदमी ने अपनी वफादारी और समझदारी से राजा को प्रभावित किया।
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उसने गुप्त जानकारी को अपने तक सीमित रखा और भेष बदले हुए राजा और मंत्री को डाकू समझकर गिरफ्तार करवा दिया।
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राजा ने भेद खुलने पर समझा कि गुप्त बातें सुरक्षित रखने की क्षमता ही आदमी का मूल्य बढ़ाती है।
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इस कहानी से राजा ने सीखा कि महत्वपूर्ण भूमिकाओं के लिए सही व्यक्ति को उसके योग्य वेतन देकर नियुक्त करना चाहिए।
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