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कॉलेज में परीक्षा परिणाम के दिन छात्रों के बीच उत्साह और बेचैनी का माहौल था। राम, श्याम और मोहन, तीनों दोस्तों ने अच्छे अंकों के साथ परीक्षा पास की और नौकरी की तलाश में जुट गए।
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राम और श्याम ने नौकरी के विज्ञापन देखे, जबकि मोहन खुद जाकर नौकरी की खोज में लगा। दो महीने बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिली, जिससे वे निराश हो गए।
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मोहन को पेट्रोल पंप पर नौकरी का पता चला, लेकिन जब उसने राम और श्याम को बताया, तो उन्होंने इसे कमतर नौकरी समझकर ठुकरा दिया।
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मोहन ने पेट्रोल पंप की नौकरी स्वीकार कर ली, ईमानदारी और मेहनत से काम करते हुए वह जल्द ही मालिक की नजरों में चढ़ गया और उसे और बड़ी जिम्मेदारियाँ मिलीं।
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पेट्रोल पंप पर काम करते हुए मोहन ने सेठ के विश्वास को जीता और उसे अकाउंटेंट की नौकरी भी मिल गई, जिससे उसका करियर और आगे बढ़ा।
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सेठ ने मोहन को अपने कारोबार का इंचार्ज बना दिया और व्यापार का विस्तार किया, जिससे मोहन की स्थिति और भी मजबूत हो गई।
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जब मोहन ने फर्म के लिए नई भर्तियों की घोषणा की, तो राम और श्याम भी नौकरी के लिए पहुंचे, उन्हें मोहन का बॉस बनते देख आश्चर्य हुआ।
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मोहन ने राम और श्याम को समझाया कि समय का मूल्य समझना बेहद जरूरी है। अगर वे पहले ही समझदारी से काम लेते तो उनकी स्थिति बेहतर हो सकती थी।
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राम और श्याम को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने मोहन की बातों से सहमति जताई, यह सीखते हुए कि कोई भी काम छोटा नहीं होता।
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यह कहानी समय और मेहनत के महत्व को बताती है, यह दिखाती है कि सही समय पर सही निर्णय लेना कितना महत्वपूर्ण है।
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