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सुंदर वन में एक अज्ञात बीमारी फैल गई थी, जिससे अधिकांश जानवरों ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया था। इस स्थिति से निपटने के लिए, शेर सिंह ने एक बैठक बुलाई।
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बैठक में निर्णय लिया गया कि जंगल में एक अस्पताल खोला जाएगा, ताकि बीमार जानवरों का इलाज किया जा सके। अस्पताल के लिए धन सभी जानवरों से इकट्ठा किया गया।
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कीनू खरगोश ने अपने दो मित्र डॉक्टरों को अस्पताल में काम करने के लिए बुलाया। शेर सिंह ने अस्पताल का आधा खर्च खुद वहन करने का वादा किया।
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कुछ समय बाद, डॉक्टर चीनू खरगोश में लालच आ गया और उसने चोरी-छिपे दवाइयां बेचनी शुरू कर दीं और दूसरे जंगल में मरीजों का इलाज करने लगा।
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ईमानदार डॉक्टर वीनू खरगोश ने चीनू के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और पूरी ईमानदारी से काम किया, जिससे मरीज भी वीनू के पास जाना पसंद करने लगे।
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जंगल के जानवरों ने शेर सिंह से चीनू की शिकायत की। शेर सिंह ने जांच का आदेश दिया, जिसे चालाक लोमड़ी को सौंपा गया।
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लोमड़ी ने चीनू को रंगे हाथों पकड़ा और शेर सिंह को सूचित किया। शेर सिंह ने खुद को बीमार राजा के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे चीनू की बेइमानी का पर्दाफाश हो गया।
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शेर सिंह ने आदेश दिया कि चीनू की बेइमानी से अर्जित संपत्ति अस्पताल में जमा की जाए और उसे जंगल से बाहर निकाल दिया जाए।
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इस घटना से सभी जंगलवासियों ने सीख ली कि ईमानदारी की हमेशा जीत होती है।
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