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एक राजा, जिसे भगवान ने सबकुछ दिया था, फिर भी वह दुखी रहता था। एक दिन वह एक गाँव में पहुँचा, जहाँ उसने एक मिट्टी के बर्तन बनाने वाले व्यक्ति को देखा।
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वह व्यक्ति मटके बेच रहा था और आनंद से गुनगुना रहा था। राजा ने उससे प्रभावित होकर पूछा कि क्या वह उसके साथ नगर चलना चाहेगा।
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राजा ने उसे नगर में मटके बनाने और पैसे कमाने का प्रस्ताव दिया। व्यक्ति ने पूछा कि वह पैसे का क्या करेगा।
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राजा ने कहा कि पैसे से और पैसा बनाकर अंत में आराम से भगवान का भजन करेगा। व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा कि वह तो पहले से ही यही कर रहा है।
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व्यक्ति ने राजा को सिखाया कि आनंद पैसे से नहीं खरीदा जा सकता। जो हमारे पास है, उसमें खुश रहना सीखना चाहिए।
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राजा को यह महसूस हुआ कि उसके दुखों का कारण वही है कि वह अपने पास की चीज़ों में खुश नहीं है और जो नहीं है, उसे पाने के चक्कर में दुखी है।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि हमें अपने पास की चीज़ों में संतोष और आनंद प्राप्त करना चाहिए।
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इस कहानी से राजा को अपने दुखों को दूर करने का मंत्र मिल गया
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और उसने सच्चे आनंद का महत्व समझा।
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