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एक राजा ने अपने बड़े राज्य में यात्रा करने का निर्णय लिया और यात्रा के बाद अपने महल लौट आया। यात्रा के दौरान उसे पैरों में दर्द हुआ क्योंकि रास्ते में कंकड़-पत्थर चुभ गए थे।
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राजा ने अपने मंत्रियों से सड़कों को चमड़े से ढकने का आदेश दिया ताकि भविष्य में ऐसा न हो। यह सुनकर सभी हैरान थे, लेकिन किसी ने भी मना नहीं किया, हालांकि यह बहुत महंगा था।
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एक बुद्धिमान मंत्री ने राजा को सुझाव दिया कि सड़कों को चमड़े से ढकने के बजाय, वह अपने पैरों को चमड़े के टुकड़े से ढक लें।
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मंत्री के सुझाव पर राजा ने आश्चर्य व्यक्त किया लेकिन उसे स्वीकार कर लिया और अपने लिए जूते बनवाने का आदेश दिया।
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इस तरह जूतों का चलन शुरू हुआ, जो एक सरल और सस्ता समाधान था।
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कहानी का नैतिक यह है कि हमेशा व्यावहारिक और उपयोगी समाधान की तलाश करनी चाहिए,
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और जल्दबाजी में अप्रायोगिक हल सोचना बुद्धिमानी नहीं है।
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बातचीत और विचार-विमर्श से अच्छे और सस्ते समाधान निकाले जा सकते हैं।
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यह कहानी सिखाती है कि समस्या के समाधान के लिए रचनात्मक और सरल दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
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