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राजू, जो दसवीं कक्षा में पढ़ता था, अपने स्कूल से घर अकेले आता-जाता था क्योंकि उसके पापा अपने व्यापार में व्यस्त थे।
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एक दिन, स्कूल से लौटते समय, एक व्यक्ति ने राजू को बताया कि उसके पापा का एक्सीडेंट हो गया और उसे अस्पताल जाना है, जिससे राजू घबरा गया और कार में बैठ गया।
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कार में बैठने के बाद, राजू ने देखा कि कार अस्पताल की ओर नहीं जा रही थी, और उसे बंदूक दिखाकर धमकाया गया, जिससे उसे समझ में आया कि उसका अपहरण हो गया है।
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अपहरणकर्ताओं ने राजू को एक गैराज में बंद कर दिया, लेकिन राजू ने अपनी बुद्धिमानी से उनके बनाये जाल से छुटकारा पाने की योजना बनाई।
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राजू ने अपने हाथों के बंधन को तोड़ दिया और कमरे में बिजली के तारों का जाल बिछाकर बाहर निकलने का रास्ता बनाया।
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उसने रोशनदान से बाहर निकलकर पास के थाने में जाकर अपने पापा को सूचना दी और पुलिस को घटना की जानकारी दी।
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पुलिस ने राजू की मदद से अपहरणकर्ताओं के ठिकाने पर छापा मारा और एक अपराधी को गिरफ्तार कर लिया, जो पहले से कई मामलों में वांछित था।
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राजू की सूझबूझ और साहस की वजह से पुलिस को बड़े अपराधियों को पकड़ने में मदद मिली, जिसके लिए उसे बीस हजार रुपये का पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र दिया गया।
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राजू की इस बहादुरी की सभी ने प्रशंसा की और उसे एक प्रेरणादायक उदाहरण के रूप में देखा गया।
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