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कहानी "जानवर" में एक स्कूली बच्चे विनय की कहानी है, जो अन्य बच्चों से अलग रहता है क्योंकि वह स्कूल में खाना नहीं लाता।
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विनय के पिता अपनी कमाई शराब पर खर्च करते हैं, जिससे उसकी माँ सिलाई का काम कर के उसे पढ़ा रही है। कभी-कभी सिलाई का काम न मिलने पर उन्हें भूखे रहना पड़ता है।
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स्कूल के अन्य बच्चे विनय की गरीबी का मजाक बनाते हैं, लेकिन कोई भी उसे अपने साथ खाना नहीं खिलाता।
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सुरेश अपने ताऊ जी की भूख से जुड़ी एक घटना सुनाता है, जिससे बच्चे भूख की पीड़ा को समझते हैं।
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रिंकू, एक नई छात्रा, विनय के पास जाती है और उसे अपने साथ खाना खाने के लिए आमंत्रित करती है।
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रिंकू विनय को बताती है कि वह उसकी बहन की तरह है और उसे अपने साथ खाना खाने के लिए मना लेती है।
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रिंकू के इस व्यवहार से अन्य बच्चे अपने बर्ताव पर शर्मिंदा महसूस करते हैं।
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यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
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कहानी का अंत सकारात्मक है, जहाँ विनय और रिंकू मिलकर खाना खाते हैं और अन्य बच्चे अपने व्यवहार पर विचार करते हैं।
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