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यह कहानी एक खूंखार डाकू कालिया की है, जो 100 लोगों की अंगुलियों की माला बनाना चाहता था, लेकिन भगवान बुद्ध के साथ उसकी मुलाकात ने उसका जीवन बदल दिया।
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कालिया ने 99 लोगों को मारकर उनकी अंगुलियाँ जमा कर ली थीं और वह आखिरी शिकार की तलाश में था, जब बुद्ध उस जंगल से गुजरे।
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बुद्ध की शांत उपस्थिति और निर्भयता ने कालिया को चौंका दिया, और उन्होंने उसे पेड़ की डाल काटने और जोड़ने का उदाहरण देकर समझाया।
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बुद्ध ने कालिया को बताया कि तोड़ना आसान है, लेकिन जोड़ना सबसे मुश्किल होता है, और असली साहस रिश्तों को बनाकर शांति फैलाने में है।
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कालिया पर बुद्ध की बातों का गहरा असर हुआ और उसने अपनी तलवार फेंक दी, बुद्ध से माफी मांगी, और हिंसा का रास्ता छोड़ दिया।
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कालिया ने बुद्ध के शिष्य के रूप में नया जीवन शुरू किया और जंगल में शांति का संदेश फैलाने लगा।
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कालिया ने उन लोगों से माफी मांगी जिन्हें उसने दुख पहुंचाया था, और लोग उसे "शांतिदूत कालिया" के नाम से जानने लगे।
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इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि असली ताकत प्यार और शांति फैलाने में है, न कि हिंसा और विध्वंस में।
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हमें अपने जीवन में दूसरों के साथ प्यार और एकता की भावना रखनी चाहिए और रिश्तों को जोड़ने का काम करना चाहिए।
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सच्चा इंसान वही है, जो सृजन करता है, न कि विध्वंस।
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