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दिव्या, एक प्यारी लेकिन आलसी बच्ची, किसी भी चीज़ में दिलचस्पी नहीं रखती थी और सिर्फ धूप में आराम करना पसंद करती थी।
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उसकी माँ चाहती थी कि वह पढ़ाई करे, लेकिन दिव्या की आलसी प्रवृत्ति के कारण अध्यापिका ने उसे पढ़ाना छोड़ दिया।
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एक युवा लड़का, जो मैंगलोर से आया था, अपने साथ रोलर स्केट्स लाया और दिव्या को स्केट्स पर दौड़ते देखकर प्रेरित किया।
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दिव्या ने स्केट्स पहनने का मौका मिलने पर गिरकर भी हार नहीं मानी और खुश हुई।
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लड़के ने दिव्या को चुनौती दी कि अगर वह पहली जनवरी तक पढ़ना-लिखना सीख लेगी, तो उसे एक शानदार रोलर स्केट्स का जोड़ा मिलेगा।
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दिव्या ने इस चुनौती को स्वीकार किया और पढ़ाई में मन लगाकर अच्छे परिणाम दिए, जिससे उसकी अध्यापिका भी प्रभावित हुई।
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नए साल के दिन, दिव्या को एक डिब्बा मिला, जिसमें रोलर स्केट्स थे,
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जो उसने बिना किसी कठिनाई के पढ़ने की अपनी काबिलियत से हासिल किया।
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इस घटना ने दिव्या के आलसीपन को दूर कर दिया, और अब उसे पढ़ाई में आनंद आने लगा।
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