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रामलाल एक मेहनती किसान था जो अपने खेतों में पानी की कमी के कारण परेशान था और उसने अपने पड़ोसी हरिया से एक कुआँ खरीदा।
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हरिया एक चालाक व्यक्ति था जिसने रामलाल को कुआँ बेच दिया लेकिन बाद में पानी निकालने से रोक दिया, यह दावा करते हुए कि पानी उसका है।
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रामलाल ने न्याय की गुहार लगाने के लिए राजा विक्रमादित्य के दरबार का रुख किया, जहां उसने अपनी समस्या बताई।
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राजा ने अपने बुद्धिमान सलाहकार चतुरसेन को मामले की जांच करने के लिए बुलाया।
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चतुरसेन ने हरिया की चालाकी को उसी की तर्क से मात दी और रामलाल को इंसाफ दिलाया।
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चतुरसेन ने हरिया को दो विकल्प दिए: या तो रामलाल को पानी का किराया दे या फिर कुएँ से पानी निकाल ले।
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हरिया ने अपनी गलती स्वीकार की और रामलाल को कुएँ से पानी लेने की इजाजत दे दी।
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इस घटना के बाद, रामलाल ने अपने खेतों को हरा-भरा कर दिया और गाँव के अन्य किसानों को भी कुएँ से पानी लेने दिया।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि धोखा देना गलत है और ईमानदारी से काम करना चाहिए।
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रामलाल की दृढ़ता और चतुरसेन की बुद्धिमानी ने उसे न्याय दिलाया, जो बच्चों के लिए प्रेरणादायक है।
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