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इस कहानी में सोनू नामक एक सुनहरा हंस मालती और उसकी बेटियों रीना और मीना की मदद करता है, उन्हें अपने सुनहरे पंख देता है जिससे वे अपनी आर्थिक स्थिति सुधारते हैं।
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सोनू की मदद से मालती का परिवार धीरे-धीरे समृद्ध होने लगता है, लेकिन मालती का लालच बढ़ जाता है और वह सोनू के सभी पंख एक साथ नोचने की योजना बनाती है।
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रीना और मीना अपनी माँ को ऐसा करने से रोकने की कोशिश करती हैं, लेकिन मालती उनकी बात नहीं मानती और सोनू के पंख नोच लेती है।
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जैसे ही मालती सोनू के पंख नोचती है, वे सफेद हो जाते हैं और सोनू गुस्से में वहाँ से चला जाता है, जिससे मालती को अपनी गलती का एहसास होता है।
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कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि लालच करना गलत है और जो कुछ भी मेहनत और ईमानदारी से मिलता है, उसमें संतोष करना चाहिए।
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मालती की लालच के कारण सोनू हमेशा के लिए चला जाता है और उसे अपनी गलती पर पछताना पड़ता है।
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रीना और मीना अपनी माँ को समझाती हैं कि मेहनत और ईमानदारी से जीना ही सही रास्ता है।
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अंततः, मालती अपनी गलती से सीख लेती है और अपनी बेटियों के साथ फिर से मेहनत करके जीवन जीने का निर्णय लेती है।
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यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि लालच हमें गलत रास्ते पर ले जाती है और हमारे अच्छाइयों को छीन लेती है।
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यह एक प्रेरक कहानी है जो हमें सिखाती है कि जीवन में संतोष और मेहनत का महत्व है।
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