Motivational Story: माँ तुझे शत-शत प्रणाम

Jun 09, 2025, 12:49 PM

माँ तुझे शत-शत प्रणाम

यह कहानी माँ के महत्व और उनके बलिदान को उजागर करती है, यह बताते हुए कि माँ के कदमों में जन्नत होती है और उनका प्यार संसार का सबसे बड़ा स्नेह है।

माँ तुझे शत-शत प्रणाम

स्वामी विवेकानंद की कहानी के माध्यम से, यह बताया गया है कि माँ का ऋण चुकाना बहुत कठिन है, क्योंकि उन्होंने नौ महीने तक गर्भ में बच्चे को धारण किया और बिना शिकायत के सभी कष्टों को सहा।

माँ तुझे शत-शत प्रणाम

बच्चों के लिए माँ के अनंत उपकार होते हैं और बचपन में माँ हर कष्ट सहकर बच्चों की देखभाल करती है। बुढ़ापे में माँ की देखभाल न करने पर जीवन में दुर्भाग्य आ सकता है।

माँ तुझे शत-शत प्रणाम

माँ को सोना-चांदी नहीं, बल्कि बच्चों का स्नेह भरा स्पर्श चाहिए। माँ का आँचल एक ऐसा शीतल सागर है, जिसमें सभी दुख दर्द डूब जाते हैं।

माँ तुझे शत-शत प्रणाम

साधु वासवानीजी ने अपनी माँ की इच्छाओं का आदर करते हुए अध्यापन के क्षेत्र में कदम रखा और अपनी माँ की सेवा करते रहे।

माँ तुझे शत-शत प्रणाम

गांधीजी ने भी अपनी माँ के प्रभाव में आकर विलायत जाने से पहले यह वचन दिया था कि वे शराब और मांसाहार नहीं करेंगे।

माँ तुझे शत-शत प्रणाम

माँ को देवी के रूप में देखा जाता है और उनके आँसू में बच्चों के सारे पुण्य कर्म बह जाते हैं। मंदिर की देवी की सूरत माँ से मिलती है।

माँ तुझे शत-शत प्रणाम

कहानी यह संदेश देती है कि माँ का हृदय जीवन का पहला मंदिर होता है

माँ तुझे शत-शत प्रणाम

और उनके बलिदानों की कीमत कोई नहीं चुका सकता। माँ के सपने साकार करने में ही जीवन का सच्चा अर्थ है।