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पालमपुर नामक गाँव के गरीब मजदूर रामलाल अपने बेटे भोला की गंदी आदतों से परेशान था, जो बिना मेहनत किए पैसे खर्च करता था।
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रामलाल ने अपने बेटे को सुधारने के लिए उसे पैसे नहीं देने का फैसला लिया और उसे खुद पैसे कमाकर लाने की चुनौती दी।
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भोला ने शुरुआत में अपनी माँ और बहन से पैसे उधार लिए, लेकिन अंततः उन्हें कुएं में फेंकने के लिए मजबूर किया गया।
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भोला ने महसूस किया कि बिना मेहनत के पैसे कमाना संभव नहीं है, और एक अजनबी की सलाह पर रेलवे स्टेशन पर मुसाफिरों का सामान उठाने का काम किया।
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इस मेहनत के जरिए भोला ने पचास रुपये कमाए और अपने पिता को दिए, इस बार उसने पैसे कुएं में नहीं फेंके क्योंकि उसने उन्हें खुद कमाया था।
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रामलाल ने भोला की मेहनत की सराहना की और उसे समझाया कि मेहनत से कमाए पैसे का महत्व क्या होता है।
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भोला ने मेहनत की कीमत समझी और भविष्य में पैसे की बर्बादी नहीं करने का निर्णय लिया।
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कहानी का संदेश है कि मेहनत ही सफलता का असली हथियार है
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और यह किसी भी परिस्थिति से बाहर निकलने का रास्ता दिखा सकता है।
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