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मोनू की जिद्दी आदत से उसके परिवार वाले काफी परेशान थे। वह अक्सर खिलौने और खाने-पीने की चीजों के लिए जिद करता रहता था।
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मोनू को उम्मीद थी कि उसके पास होने पर उसे साइकिल मिलेगी, लेकिन जब मां ने समझाया कि आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, तो मोनू ने वीडियो गेम की जिद कर दी।
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मोनू के पापा ने उसके जिद्दी स्वभाव को सुधारने के लिए एक योजना बनाई, जिसमें एक व्यक्ति को बोर्डिंग स्कूल के टीचर के रूप में पेश किया गया।
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पापा ने मोनू को बताया कि बोर्डिंग स्कूल में उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी, लेकिन मोनू को परिवार से दूर रहना होगा।
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मोनू को जब यह एहसास हुआ कि उसे बोर्डिंग स्कूल भेजा जाएगा, तो उसने रोते हुए माफी मांगी और वादा किया कि वह अब कोई जिद नहीं करेगा।
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बाद में, मोनू को पता चला कि यह सब एक नाटक था ताकि उसकी जिद्दी आदत को सुधारा जा सके।
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मोनू ने समझा कि उसकी जिद्दी आदत एक दिन उसे ही परेशानी में डाल सकती है
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और वह इस आदत को छोड़ने के लिए तैयार हो गया।
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अंत में, पापा ने मोनू को गले लगाकर कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी गलती को समझकर सुधार ले, तो उसे भूला नहीं कहते।
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