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रविवार की छुट्टी के दिन रूपेश अपने दोस्तों के साथ कैरम खेल रहा था, जब उसकी मां ने उसे गमले में पानी डालने के लिए कहा।
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खेल के दौरान मां की आवाज़ सुनकर रूपेश का ध्यान भंग हो गया और उसका निशाना चूक गया, जिससे वह गुस्से में आ गया।
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रूपेश ने बहाना बनाया कि ठंड में गमले में पानी डालने से तुलसी का पौधा ठंडा हो जाएगा।
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उसकी मां ने समझाया कि पेड़-पौधे हमारी तरह कोट या स्वेटर नहीं पहनते, फिर भी वे ठंड, गर्मी और बरसात सहन कर लेते हैं।
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रूपेश की मां ने बताया कि घर में लगाए गए पौधों की देखभाल हमारी जिम्मेदारी होती है, नहीं तो वे मुरझा जाएंगे।
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मां के समझाने पर रूपेश और उसके दोस्तों ने पौधों की देखभाल की अहमियत को समझा।
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रूपेश ने प्रतिज्ञा की कि वह अब से अपने आंगन में लगे सभी पौधों की देखभाल करेगा।
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दोस्तों ने भी इस बात का समर्थन किया और पौधों की देखभाल का वादा किया।
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इस कहानी से यह संदेश मिलता है कि जैसे मां अपने बच्चों से प्रेम करती है, वैसे ही हमें भी पौधों की देखभाल करनी चाहिए।
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रूपेश की मां की समझदारी और प्यार से सभी दोस्त प्रभावित हुए और उन्होंने इस सीख को जीवन में अपनाने का निर्णय लिया।
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