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विजय और अजय दो भाई थे जो कक्षा सात में पढ़ते थे। विजय पढ़ाई में बहुत तेज था और हमेशा कक्षा में प्रथम आता था, जबकि अजय को पढ़ाई में ज्यादा रुचि नहीं थी।
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विजय कमजोर छात्रों की मदद करता था और अपनी बुद्धिमानी के कारण सभी का प्रिय था, इसलिए उसे "पढ़ाकू" कहा जाता था।
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अजय अपने शारीरिक बल का उपयोग करके कक्षा के अन्य छात्रों पर रोब जमाता था, जिस कारण उसे "लड़ाकू" कहा जाता था।
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एक दिन अजय के पापा ने उसे समझाया कि केवल ताकत से कुछ नहीं होता, बुद्धि भी जरूरी है। अजय ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
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बाजार में अजय ने एक दौड़ते व्यक्ति को बस पकड़वाने के लिए कुत्तों को उसके पीछे दौड़ा दिया। इस पर पापा ने कहा कि यह बुद्धिमानी नहीं, मूर्खता है।
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एक दिन पापा बिजली के तारों में फंस गए और अजय ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन खुद भी फंस गया। विजय ने स्थिति को समझकर बिजली का स्विच बंद किया और सबको बचा लिया।
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इस घटना के बाद अजय को समझ में आया कि बुद्धि का होना कितना आवश्यक है और उसने पढ़ाई पर ध्यान देने का निर्णय लिया।
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अजय ने अपनी आदतें बदलीं और पढ़ाई में मेहनत की, जिसके परिणामस्वरूप वह कक्षा में दूसरे स्थान पर आया।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि बुद्धि और ज्ञान का महत्व ताकत से कहीं अधिक है और सही दिशा में प्रयास करने से सफलता मिलती है।
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