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कहानी की शुरुआत में, आस-पड़ोस के बच्चे दादी से कहानियाँ सुनने के लिए इकट्ठा होते हैं। वे विभिन्न प्रकार की कहानियाँ सुनना चाहते हैं, लेकिन दादी उन्हें स्वतंत्रता दिवस के महत्व की कहानी सुनाने का निर्णय लेती हैं।
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दादी बच्चों को बताती हैं कि भारत पहले मुसलमानों और फिर अंग्रेजों का गुलाम था। गुलामी का मतलब होता है कि इंसान अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकता और सब कुछ मालिकों की मर्जी से करना पड़ता है।
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कहानी में बताया गया है कि कैसे कुछ वीर लोगों ने देश को गुलामी से मुक्त कराने की योजना बनाई। सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सुभाष चंद्र बोस और मदनलाल ढींगरा जैसे क्रांतिकारियों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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दादी बताती हैं कि अंग्रेजों ने इन स्वतंत्रता सेनानियों पर बहुत अत्याचार किए। भगत सिंह को फांसी दी गई और चंद्रशेखर आज़ाद को इलाहाबाद के एक पार्क में मार दिया गया।
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सुभाष चंद्र बोस को देश छोड़ना पड़ा, लेकिन उन्होंने विदेश में रहकर भी देश को आजाद कराने की कोशिश जारी रखी।
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भारत में कई आंदोलन हुए और कई नेताओं जैसे जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी को भी जेल में डाला गया।
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आखिरकार, अंग्रेजों ने भारत छोड़ने का निर्णय लिया और 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया।
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कहानी के अंत में, बच्चे स्वतंत्रता की कीमत और महत्व को समझते हैं
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और दादी से वादा करते हैं कि वे बड़े होकर देश की आजादी को बनाए रखेंगे और देश के काम आएंगे।
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