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कहानी "अपनी खुशियाँ पहचानो" में कालू नाम का एक कौआ अपनी जिंदगी से संतुष्ट था, लेकिन जब उसने हंस को देखा, तो उसने खुद की तुलना हंस से करने लगा।
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हंस ने कालू को बताया कि वह तोते को सबसे सुंदर मानता है, क्योंकि तोते के पास हरे और लाल रंग के पंख हैं, जबकि हंस के पास केवल सफेद रंग है।
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जब कालू तोते से मिला, तो तोते ने कहा कि वह मोर को सबसे सुंदर मानता है क्योंकि मोर के पंखों में कई रंग होते हैं।
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कालू मोर से मिलने चिड़ियाघर गया, जहाँ मोर ने उसे बताया कि सुंदरता से ज्यादा खुशी आज़ादी में है, क्योंकि वह पिंजरे में कैद है और उड़ नहीं सकता।
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मोर की बात सुनकर कालू को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने दूसरों से तुलना करके अपनी आज़ादी की खुशी को नजरअंदाज कर दिया था।
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इस कहानी से सीख मिलती है कि हमें अपनी खुशियों और खूबियों को पहचानना चाहिए और दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए।
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कालू ने सीखा कि असली खुशी अपनी जिंदगी में संतुष्ट रहने और अपनी खूबियों को अपनाने में है।
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कहानी बच्चों को यह प्रेरणा देती है कि संतुष्टि और आत्म-मूल्य को समझना जरूरी है,
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और यह कि हर किसी की जिंदगी में कुछ खास होता है जिसे हमें सराहना चाहिए।
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