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अरुण बचपन में आलसी और डरपोक था, उसे नई चीजों को करने में डर लगता था।
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उसके बड़े भाई और बहन बहादुर थे और अरुण को डरपोक कहकर चिढ़ाते थे।
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अरुण का डर उसके भाई-बहन के मजाक का कारण बनता था, जिससे अरुण को अच्छा नहीं लगता था।
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एक दिन पहाड़ों में घूमते समय, अरुण ने अपने डर का सामना किया जब एक लोमड़ी ने उनका पीछा किया।
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उसके भाई-बहन भाग गए, पर अरुण वहीं खड़ा रहा और लोमड़ी पर चिल्लाया, जिससे लोमड़ी डरकर भाग गई।
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अरुण की इस बहादुरी को देखकर उसके भाई-बहन ने उसकी सराहना की और उसे धन्यवाद कहा।
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इस घटना के बाद, अरुण ने अपने डर को दूर करना शुरू किया और धीरे-धीरे बहादुर बनता गया।
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अब अरुण के भाई-बहन उसे डरपोक कहकर नहीं चिढ़ाते और अच्छे से बात करते हैं।
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कहानी यह संदेश देती है कि डर का सामना करने से व्यक्ति मजबूत और साहसी बन सकता है।
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अरुण की कहानी बच्चों के लिए प्रेरणादायक है, जो उन्हें अपने डर का सामना करने की हिम्मत देती है।
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