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कहानी "कौओं की गिनती का रहस्य" में राजा विक्रम अपनी सभा में एक अजीब सवाल पूछते हैं कि उनके शहर में कितने कौए हैं, जिससे सभी दरबारी आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
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सभा में मौजूद कोई भी इस सवाल का उत्तर नहीं दे पाता, जिससे माहौल में सन्नाटा छा जाता है।
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चतुर वीरसेन, जो राजा के सबसे बुद्धिमान सलाहकार हैं, इस चुनौती का सामना करते हैं और बिना हिचकिचाहट के 32,456 कौओं की संख्या बताते हैं।
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जब उनसे पूछा जाता है कि वह इतने विश्वास से कैसे कह सकते हैं, तो वीरसेन तर्क देते हैं कि यदि अधिक कौए मिलें तो वे बाहर से आए होंगे और यदि कम मिलें तो बाहर गए होंगे।
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राजा विक्रम वीरसेन की चतुराई से प्रभावित होकर उनकी प्रशंसा करते हैं और उन्हें सोने की माला और हीरे का हार इनाम में देते हैं।
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वीरसेन की इस चतुराई भरे उत्तर के बाद गाँव में उनकी बुद्धिमानी की चर्चा होती है और लोग इस कहानी को मजे से सुनते हैं।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी भी सवाल का जवाब देना महत्वपूर्ण है, लेकिन उसे सही तर्क के साथ पेश करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
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वीरसेन ने अपनी बुद्धिमानी से न केवल सवाल का उत्तर दिया, बल्कि उसे इस प्रकार प्रस्तुत किया कि सबने उसे स्वीकार कर लिया।
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यह कहानी बच्चों के लिए एक प्रेरक उदाहरण है कि चतुराई और समझदारी से हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
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