Read Full Story
रूस्तम अपने समय के प्रसिद्ध पहलवान थे जिन्होंने हजारों कुश्तियां जीती थीं, लेकिन अब उम्र के कारण उन्हें कोई पूछता नहीं था।
Read Full Story
एक दिन उनके पास एक लड़का आया जिसका केवल एक हाथ था और वह रुस्तम से कुश्ती सीखने की इच्छा जताता है।
Read Full Story
लड़के ने अपने एक हाथ के बावजूद दृढ़ता दिखाई और समाज की दया पर निर्भर न होकर अपनी मेहनत से जीना चाहता था।
Read Full Story
रुस्तम ने लड़के को एक ही दांव सिखाना शुरू किया। लड़के ने अपनी सारी मेहनत और ध्यान उस दांव की बारीकियों को सीखने में लगा दिया।
Read Full Story
शहर में आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में लड़के ने पहले दो मुकाबले आसानी से जीत लिए, फिर उसका सामना एक बड़े पहलवान से हुआ।
Read Full Story
लड़के ने अपने एक दांव से बड़े पहलवान को चित्त कर दिया, जिससे वह खुद और दर्शक हैरान रह गए।
Read Full Story
जीत के बाद लड़के ने रुस्तम से पूछा कि वह कैसे जीता, तो रुस्तम ने बताया कि उसकी कमी ही उसकी विशेषता बन गई।
Read Full Story
चूंकि लड़के का दूसरा हाथ नहीं था, इसलिए प्रतिद्वंदी उसका दांव नहीं तोड़ सका, और उसकी मेहनत ने उसे विजयी बना दिया।
Read Full Story
यह कहानी दर्शाती है कि किसी भी कमी को मेहनत और लगन से विशेषता में बदला जा सकता है।
Read Full Story
रूस्तम ने अपने चेले को गले लगाते हुए कहा कि मेहनत से हर कोई ऐसा कर सकता है।
Read Full Story