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एक व्यक्ति जंगल में भटक गया और कुएं में गिरने से बचने के लिए पेड़ की डाल पकड़ ली। नीचे चार अजगर उसे घूर रहे थे और डाल को दो चूहे कुतर रहे थे।
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एक हाथी पेड़ को हिलाने लगा, जिससे मधुमक्खियों का छत्ता हिल गया और शहद की बूंदें गिरने लगीं। व्यक्ति ने शहद की बूंद चाटी और उसे जीवन का सबसे स्वादिष्ट अनुभव लगा।
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शहद की मिठास में खोकर व्यक्ति अपने संकटों को भूल गया और शहद की अगली बूंद का इंतजार करने लगा। वह अपने खतरों और समस्याओं से अनजान हो गया।
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भगवान शिव और पार्वती देवी वहां से गुजर रहे थे। पार्वती ने व्यक्ति की स्थिति देखी और शिवजी से उसे बचाने का अनुरोध किया। शिवजी ने उसे बचाने का प्रस्ताव दिया।
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व्यक्ति ने शिवजी का प्रस्ताव ठुकरा दिया और शहद की बूंदों के लिए इंतजार करता रहा। अंत में, शिवजी वहां से चले गए।
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कहानी में कुआं जीवन के खतरों का, चूहे समय का, हाथी घमंड का, शहद की बूंदें सांसारिक सुखों का, और अजगर मृत्यु का प्रतीक हैं।
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शिवजी का प्रस्ताव जीवन में आने वाले आध्यात्मिक अवसरों का प्रतीक है, जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।
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कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि सांसारिक सुखों में उलझकर हम अपने जीवन के असली उद्देश्य को भूल जाते हैं।
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सच्चा आनंद पाने के लिए हमें भौतिक इच्छाओं से ऊपर उठकर आत्मा के उद्धार पर ध्यान देना चाहिए।
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