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दीपू एक प्रसिद्ध और प्रिय छात्र था जो पढ़ाई और खेलकूद में हमेशा आगे रहता था। वह अपने सहपाठियों और अध्यापकों के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करता था।
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दीपू के पिताजी के ट्रांसफर के कारण उसे लखनऊ के नए विद्यालय में जाना पड़ा, जिससे वह उदास और चिंतित हो गया क्योंकि उसे अपने पुराने मित्र और स्कूल छोड़ने का दुःख था।
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नए विद्यालय में दीपू को उसके रंग के कारण "कल्लू" कहकर चिढ़ाया गया, जिससे वह परेशान और उदास हो गया।
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दीपू की माँ ने उसे सलाह दी कि चिढ़ाने का जवाब न देकर हँसकर प्रतिक्रिया दे और इससे उसकी समस्या धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी।
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दीपू ने माँ की सलाह मानी और कुछ दिनों में बच्चों ने उसे चिढ़ाना बंद कर दिया। उसका मन विद्यालय में लगने लगा।
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दीपू की माँ ने उसे बच्चों से खुद बात करने और उनकी मदद करने की सलाह दी, जिससे धीरे-धीरे बच्चों ने उससे मित्रता करनी शुरू कर दी।
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दीपू ने अपनी मेहनत और अच्छे व्यवहार से नए विद्यालय में भी अपनी पहचान बना ली
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और सभी बच्चों के बीच लोकप्रिय हो गया।
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यह कहानी बताती है कि कैसे सकारात्मक दृष्टिकोण और सही तरकीब से किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है।
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