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एक शिव मंदिर में कई भक्त भगवान शिव की पूजा करने आते थे, जिनमें नवल और रूचिर दो भाई थे। नवल को खाने का बहुत शौक था, इसलिए लोग उसे पेटू कहते थे।
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रूचिर नियमित रूप से शिव मंदिर में जाकर पूजा करता था और खुद को शिव का श्रेष्ठ भक्त मानता था। वह मंदिर में ढेर सारे बेलपत्र चढ़ाता था।
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एक रात रूचिर ने सपना देखा कि मंदिर का पुजारी बेलपत्र बाहर फेंक रहा था, जिससे वह परेशान हो गया था। रूचिर ने सोचा कि उसकी वजह से पुजारी को परेशानी हो रही है।
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पुजारी ने बताया कि नवल, जो कभी मंदिर नहीं आता, असल में भगवान शिव का बड़ा भक्त है और मन से पूजा करता है। उसके मानस पूजा के कारण हजारों बेलपत्र चढ़े होते हैं।
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यह सुनकर रूचिर चौंक गया और उसे समझ आया कि उसका भाई नवल असल में सच्चा भक्त है, जो मन से पूजा करता है।
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रूचिर का अहंकार टूट गया और उसने अपने भाई के प्रति श्रद्धा महसूस की। उसे महसूस हुआ
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कि सच्ची भक्ति मन की होती है, न कि बाहरी दिखावे की।
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इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि भक्ति का असली मोल मन की सच्चाई में है, न कि बाहरी प्रदर्शन में।
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कहानी यह भी दर्शाती है कि कभी-कभी हम दूसरों की सच्ची भावना को नहीं समझ पाते और उनके प्रति गलत धारणाएं बना लेते हैं।
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