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मुनू नाम का नटखट बंदर एक छोटे से जंगल में रहता था और उसे शरारत करने का बहुत शौक था, जैसे पेड़ों पर उछल-कूद और फलों की चोरी।
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जंगल के जानवरों ने फैसला किया कि मुनू को समझदार बनाने के लिए स्कूल भेजा जाना चाहिए।
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स्कूल के पहले दिन मुनू को एक नई थैली दी गई जिसमें केला, पेंसिल, और कॉपी रखी गई थी। मुनू को पढ़ाई के साथ-साथ मस्ती का भरोसा दिलाया गया।
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स्कूल में मुनू ने शेर सर, हिरन मैडम और कबूतर साहब से मुलाकात की। मुनू ने अपनी पहली गलती में 1+1 का जवाब "दो केले" बताया, जिससे क्लास में हंसी छूट गई।
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दूसरे क्लास में हिरन मैडम ने गाना गाने को कहा तो मुनू ने "चूहा-चूहा" गाते हुए कबूतर साहब की टोपी चुरा ली, जिससे फिर हंसी का माहौल बन गया।
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लंच के दौरान मुनू ने अपना केला एक खरगोश के साथ बांटा, लेकिन केला शेर सर के सिर पर गिर गया, जिससे क्लास में फिर से हंसी का ठहाका लगा।
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अंत में, पेड़ पर चढ़ने की परीक्षा में मुनू ने अपनी फुर्ती से सबको प्रभावित किया, और उसे स्कूल का "मस्ती किंग" घोषित किया गया।
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कहानी बच्चों को यह संदेश देती है कि पढ़ाई के साथ-साथ मस्ती भी जीवन में जरूरी है,
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और अपनी खूबियों को पहचानना भी एक महत्वपूर्ण गुण है।
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