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यह कहानी रामू की है, जिसे बिना पहचान के संदेह के आधार पर 40 फीट गहरे गड्ढे में छोड़ दिया गया था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।
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गड्ढे में फंसे रामू ने बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन बार-बार गिरकर निराश हो चुका था। तभी उसे पास के गड्ढे से किसी की मदद की पुकार सुनाई दी।
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पास के गड्ढे से आ रही आवाज ने रामू को नई ऊर्जा दी। उसने फिर से गड्ढे से बाहर निकलने की कोशिश की और इस बार सफल हुआ।
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बाहर निकलकर रामू ने देखा कि पास के गड्ढे में एक बूढ़ा व्यक्ति भी फंसा हुआ था। उसने मिट्टी और पत्थरों से रस्सी बनाकर बूढ़े को बाहर निकाला।
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बूढ़े व्यक्ति ने रामू को धन्यवाद दिया और कहा कि उसकी आवाज ने रामू को हिम्मत दी। यह घटना रामू के लिए एक प्रेरणा बन गई।
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गांव में रामू की बहादुरी की कहानी सुनकर ग्रामीणों ने अपनी गलती मानी और रामू को सम्मानित किया। उन्होंने यह भी तय किया कि बिना सबूत के किसी को सजा नहीं दी जाएगी।
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इस घटना से गांव में बदलाव आया और लोगों ने एक-दूसरे की मदद करने का महत्व समझा।
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रामू ने सबक लिया कि मुसीबत में हार नहीं माननी चाहिए और दूसरों की मदद से अपनी ताकत बढ़ानी चाहिए।
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हर कठिनाई में उम्मीद की किरण होती है।
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