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टिमटु जासूस गहरी नींद में था, जब उसका साथी मिमटु जासूस उसे जगाने की कोशिश कर रहा था। मिमटु ने पानी का पाइप चलाकर टिमटु को जगाया, ताकि वे अपनी जासूसी यात्रा पर जा सकें।
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मिमटु ने टिमटु को एक पहाड़ी के पास ले जाकर बताया कि पिछले साल के अपराधी गिरोह का सरगना सारंगा अभी भी जिंदा हो सकता है और उसी इलाके में सक्रिय है।
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पहाड़ी के आसपास भूतों का डर फैला हुआ था, जिससे कोई भी शाम के बाद वहां जाने की हिम्मत नहीं करता। मिमटु को विश्वास था कि यह सब सारंगा की करतूत हो सकती है।
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जासूसों ने यह पाया कि एक पेड़ का तना वास्तव में लोहे का बना था और उसके अंदर एक तहखाना था, जो अपराधियों का अड्डा हो सकता था।
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उन्होंने देखा कि एक जीप वहां आकर रुकी और उसमें से कुछ लोग पेड़ के नीचे बने तहखाने में प्रवेश कर गए। इससे मिमटु का अनुमान सही साबित हुआ।
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मिमटु और टिमटु ने योजना बनाई कि वे धमाके के जरिए अपराधियों को बाहर निकालेंगे और उन्हें पकड़ लेंगे। मिमटु ने अपने अनोखे बटन का उपयोग करके पहाड़ी पर धमाका किया।
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धमाके के बाद, अपराधियों का बॉस बाहर निकला और जासूसों ने उसे पकड़ लिया। यह बॉस सेठ रामनारायण था, जो तस्करी के धंधे में लिप्त था।
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मिमटु ने बताया कि सेठ रामनारायण के ड्राइवर पर शक होने के कारण उन्होंने इस मामले की तह तक जाने का निर्णय लिया था।
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अंत में, सेठ रामनारायण और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया गया और अगले दिन के अखबारों में "पहाड़ी के रहस्य" की कहानी प्रमुखता से प्रकाशित हुई।
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