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'हरियालवन' नामक एक घने और खूबसूरत जंगल में एक नन्हा और शरारती शेर रहता था जिसका नाम शेरू था। उसकी मम्मी हमेशा उसे अकेले जंगल में न जाने की सलाह देती थीं, लेकिन शेरू उनकी बात नहीं मानता था।
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एक दिन शेरू एक रंगीन तितली के पीछे भागते हुए जंगल के अंदर चला गया और रास्ता भटक गया। उसे एहसास हुआ कि उसने मम्मी की बात न मानकर गलती कर दी है।
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शेरू की मदद के लिए तेज़्ज़ू नामक एक हिरण आया और उसने बुद्धू उल्लू अंकल की सहायता से शेरू को रास्ता दिखाने का निर्णय लिया।
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बुद्धू अंकल, जो जंगल के सबसे समझदार प्राणी थे, ने ऊँचाई से दिशा बताई और तेज़्ज़ू ने शेरू को सही रास्ते पर ले जाने में मदद की।
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अंततः शेरू अपनी गुफा के पास पहुँच गया जहाँ उसकी मम्मी उसका इंतजार कर रही थीं।
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शेरू ने मम्मी से माफी मांगी और तेज़्ज़ू और बुद्धू अंकल का धन्यवाद किया।
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इस घटना के बाद शेरू ने हमेशा अपनी मम्मी की बात मानने का निर्णय लिया और अकेले दूर न जाने का सबक सीखा।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि हमें अपने बड़ों की बात माननी चाहिए क्योंकि वे हमारे भले के लिए होते हैं।
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सच्ची दोस्ती हर मुश्किल समय में मददगार साबित होती है और हमें सही दिशा दिखाती है।
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