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यह कहानी सुंदरवन जंगल के एक आलसी सियार छोटू और एक मेहनती कठफोड़वा टुकटुक की है, जो मेहनत और नकल के प्रभाव को दर्शाती है।
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टुकटुक कड़ी मेहनत और अभ्यास के बल पर पेड़ के तने से कीड़े निकालता है, जबकि छोटू उसकी नकल कर बिना मेहनत के सफलता पाना चाहता है।
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छोटू टुकटुक की तरह पेड़ काटकर भोजन ढूंढ़ने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी चोंच न होने के कारण असफल रहता है।
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छोटू लंगूरों की नकल कर जल्दीबाजी में ऊँचा घर बनाता है, जो तूफान में ढह जाता है, जबकि टुकटुक का मज़बूत घर सुरक्षित रहता है।
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इस घटना से छोटू को समझ आता है कि बिना लगन और अभ्यास के सिर्फ नकल करने का परिणाम बुरा होता है।
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टुकटुक छोटू को अपने हुनर को पहचानने और उसे निखारने की सलाह देता है,
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जिससे छोटू अपने सियार वाले हुनर को विकसित करता है।
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कहानी का सार है कि नकल करने के बजाय अपने हुनर पर ध्यान देकर सच्ची मेहनत करने से ही सफलता मिलती है।
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यह कहानी सिखाती है कि हर किसी का काम करने का तरीका अलग होता है और सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता।
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