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यह कहानी रमेश और सोहन की है, जो एक गेंद के रंग को लेकर बहस करते हैं। शिक्षक उन्हें नजरिए के महत्व को समझाते हैं।
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शिक्षक एक सफेद और काली गेंद दिखाते हैं, जो दोनों की नजर से अलग दिखती है। यह दिखाता है कि हर स्थिति को देखने का नजरिया अलग हो सकता है।
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शिक्षक समझाते हैं कि अलग-अलग सोच का मतलब गलत होना नहीं है; यह नजरिए का फर्क हो सकता है।
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रमेश और सोहन अपनी गलती मानकर दोस्त बन जाते हैं और फिर से लड़ाई की बजाय एक-दूसरे के नजरिए को समझने की कोशिश करते हैं।
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शिक्षक बच्चों को सिखाते हैं कि मतभेद होने पर एक-दूसरे की जगह खड़े होकर सोचने से बेहतर समझ बनती है।
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बच्चों ने इस सीख को सांस्कृतिक कार्यक्रम में नाटक के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे स्कूल में हर किसी के नजरिए का सम्मान बढ़ा।
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कहानी सिखाती है कि जल्दबाजी में फैसले लेने के बजाय दूसरों की बात समझने की कोशिश करनी चाहिए।
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इस प्रेरक कहानी में दोस्ती, संवाद और सकारात्मक सोच का महत्व बताया गया है, जो जीवन में रिश्तों को मजबूत बनाते हैं।
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