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यह कहानी एक नन्हे नीलकंठ, नीलू की है, जो मोरों के रंग-बिरंगे पंख देखकर प्रभावित हो जाता है और खुद को मोर समझने की कोशिश करता है।
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नीलू ने मोरों के झड़ चुके पंखों को अपनी पूंछ में बांध लिया और खुद को मोर जैसा दिखाने का प्रयास किया, लेकिन असल मोरों ने उसे पहचान लिया और उसकी नकल का पर्दाफाश कर दिया।
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मोरों ने नीलू के नकली पंख खींच दिए, जिससे वह अपनी असली रूप में वापस आ गया। यह अनुभव नीलू के लिए एक महत्वपूर्ण सबक था।
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नीलू के नीलकंठ भाई-बहन और दादाजी ने उसे समझाया कि हर किसी की अपनी खासियत होती है और दूसरों की नकल करने से अपनी असली सुंदरता छिप जाती है।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि हमें अपनी विशेषताओं पर गर्व करना चाहिए और दूसरों की नकल नहीं करनी चाहिए।
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नीलू ने अपनी गलती समझी और अपनी असली सुंदरता को पहचानते हुए गर्व महसूस किया। वह जंगल का सबसे प्यारा पक्षी बन गया।
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यह कहानी आत्मस्वीकृति और आत्म-प्रेम का महत्व सिखाती है, जो बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण नैतिक शिक्षा है।
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कहानी का अंत नीलू और मोरों की दोस्ती के साथ होता है, जो यह दर्शाता है
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कि असली सुंदरता और आत्म-स्वीकृति से ही हम समाज में अपनी जगह बना सकते हैं।
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