Read Full Story
यह कहानी एक बूढ़े और दयालु बंदर, दयाल, की है जो जंगल में सूखे के समय निस्वार्थ सेवा का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
Read Full Story
सुख-वन में भयंकर सूखे के कारण जानवर पानी के लिए परेशान हो जाते हैं, और शक्तिशाली जानवर अपनी ताकत का दुरुपयोग करके पानी पी जाते हैं, जबकि कमजोर जानवर प्यासे रह जाते हैं।
Read Full Story
दयाल, जो खुद भी प्यासा होता है, छोटे और कमजोर जानवरों की मदद करने का निर्णय लेता है और पानी का नया स्रोत ढूंढने की कोशिश करता है।
Read Full Story
उसने चुपचाप मेहनत करके तालाब के पास एक दरार को चौड़ा किया, जिससे स्वच्छ पानी रिसने लगा।
Read Full Story
दयाल ने पहले खुद पानी नहीं पिया, बल्कि छोटे जानवरों को बुलाकर उन्हें पानी पीने दिया, जिससे उनकी प्यास बुझी।
Read Full Story
उसकी निस्वार्थ सेवा को देखकर बलराम हाथी और अन्य शक्तिशाली जानवरों को अपनी गलती का एहसास होता है और वे शर्मिंदा होते हैं।
Read Full Story
इस घटना के बाद, जंगल के सभी जानवरों ने दयाल की सेवा भावना की सराहना की और उसे सम्मान दिया।
Read Full Story
कहानी का मुख्य संदेश यह है कि निस्वार्थ सेवा और परोपकार सबसे बड़ा गुण है, जो किसी भी ताकत या धन से अधिक महत्वपूर्ण होता है।
Read Full Story
जीवन में दयालु होना अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि निस्वार्थ सेवा से मिलने वाला सम्मान और संतोष स्थायी होता है।
Read Full Story