परोपकारी बंदर कहानी: निस्वार्थ सेवा का महत्व | सच्ची दयालुता

Dec 20, 2025, 01:30 PM

परोपकारी बंदर कहानी:

यह कहानी एक बूढ़े और दयालु बंदर, दयाल, की है जो जंगल में सूखे के समय निस्वार्थ सेवा का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

परोपकारी बंदर कहानी:

सुख-वन में भयंकर सूखे के कारण जानवर पानी के लिए परेशान हो जाते हैं, और शक्तिशाली जानवर अपनी ताकत का दुरुपयोग करके पानी पी जाते हैं, जबकि कमजोर जानवर प्यासे रह जाते हैं।

परोपकारी बंदर कहानी:

दयाल, जो खुद भी प्यासा होता है, छोटे और कमजोर जानवरों की मदद करने का निर्णय लेता है और पानी का नया स्रोत ढूंढने की कोशिश करता है।

परोपकारी बंदर कहानी:

उसने चुपचाप मेहनत करके तालाब के पास एक दरार को चौड़ा किया, जिससे स्वच्छ पानी रिसने लगा।

परोपकारी बंदर कहानी:

दयाल ने पहले खुद पानी नहीं पिया, बल्कि छोटे जानवरों को बुलाकर उन्हें पानी पीने दिया, जिससे उनकी प्यास बुझी।

परोपकारी बंदर कहानी:

उसकी निस्वार्थ सेवा को देखकर बलराम हाथी और अन्य शक्तिशाली जानवरों को अपनी गलती का एहसास होता है और वे शर्मिंदा होते हैं।

परोपकारी बंदर कहानी:

इस घटना के बाद, जंगल के सभी जानवरों ने दयाल की सेवा भावना की सराहना की और उसे सम्मान दिया।

परोपकारी बंदर कहानी:

कहानी का मुख्य संदेश यह है कि निस्वार्थ सेवा और परोपकार सबसे बड़ा गुण है, जो किसी भी ताकत या धन से अधिक महत्वपूर्ण होता है।

परोपकारी बंदर कहानी:

जीवन में दयालु होना अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि निस्वार्थ सेवा से मिलने वाला सम्मान और संतोष स्थायी होता है।