थोड़ा सा तो हो ना बचपन

Nov 22, 2025, 01:11 PM

थोड़ा सा तो हो ना बचपन

बचपन का जादू यह है कि हर चीज नई और जादुई लगती है, चाहे वह सूरज का उगना हो या चिड़ियों का चहचहाना।

थोड़ा सा तो हो ना बचपन

बच्चों की कल्पना और जिज्ञासा उन्हें हर दिन एक नया अनुभव देती है, जिससे दुनिया कभी पुरानी नहीं लगती।

थोड़ा सा तो हो ना बचपन

इस कविता में बचपन की मासूमियत और सरलता को दर्शाया गया है, जहाँ छोटी-छोटी चीजें भी बड़ी खुशी देती हैं।

थोड़ा सा तो हो ना बचपन

बच्चों को नई किताबों की खुशबू और नए जूतों की आवाज़ पसंद आती है, और नए दोस्तों के साथ खेलने का मज़ा अलग होता है।

थोड़ा सा तो हो ना बचपन

परिवार का प्यार भी बच्चों के लिए खास होता है, जैसे पापा की मुस्कान, दीदी का शरारती गुस्सा और दादा-दादी की कहानियाँ।

थोड़ा सा तो हो ना बचपन

बचपन वह समय है जब बच्चे हर चीज़ को आश्चर्य और खुशी के साथ देखते हैं और दुनिया को एक सुंदर कहानी की तरह महसूस करते हैं।

थोड़ा सा तो हो ना बचपन

कविता का संदेश है कि हमें अपने बचपन की मासूमियत, जिज्ञासा और उत्साह को हमेशा संजोकर रखना चाहिए।

थोड़ा सा तो हो ना बचपन

हर दिन, सूरज, किताबें, और यहां तक कि परिवार के सदस्य भी नए और अनूठे लगते हैं,

थोड़ा सा तो हो ना बचपन

जो बचपन की अनोखी दृष्टि को दर्शाता है।