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गौतम बुद्ध ने एक धूप भरी दोपहर में एक छोटे से गाँव का दौरा किया, जहाँ बच्चों ने फूलों की माला से उनका स्वागत किया।
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नीरव, जो बच्चों के बीच में था, के पास कोई फूल नहीं था, लेकिन उसकी आँखों में जिज्ञासा की चमक थी और उसने बुद्ध से कुछ सीखने की इच्छा व्यक्त की।
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बुद्ध ने नीरव की जिज्ञासा को एक अनमोल उपहार के रूप में देखा और उसे अपने पास बैठाकर एक कहानी सुनाई।
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बुद्ध ने कहानी के माध्यम से समझाया कि जैसे एक छोटा बीज बड़ा वृक्ष बनता है, वैसे ही ज्ञान का एक छोटा दाना विशाल ज्ञान की ओर ले जा सकता है।
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कहानी सुनकर नीरव और अन्य बच्चों ने यह सीखा कि ज्ञान सबसे बड़ा धन है और उसे प्राप्त करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
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इस अनुभव से प्रेरित होकर, नीरव ने अपने जीवन में पढ़ाई और सीखने को प्राथमिकता दी।
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कहानी का मुख्य संदेश यह था कि सीखने की इच्छा और जिज्ञासा को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
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ज्ञान को जीवन की कुंजी माना गया जो हर दरवाजे को खोल सकता है
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जीवन को सार्थक बना सकता है।
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