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एक छोटे से गांव में प्रिंस नाम का एक चंचल और शरारती लड़का रहता था, जिसकी हरकतें इतनी मजेदार थीं कि गांव के सभी बच्चे उसकी दोस्ती चाहते थे।
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एक दिन प्रिंस ने कुएं के पास एक बड़ा पत्थर रख दिया और उसे मिट्टी से ढक दिया ताकि लोग पानी भरते समय परेशानी में पड़ें और वह हंसी का मजा ले सके।
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उसकी शरारत से गांव की एक बूढ़ी महिला और अन्य लोग परेशान हो गए, क्योंकि उनकी बाल्टियां पत्थर से टकराकर गिर रही थीं।
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अगले दिन गांव में एक बड़ा उत्सव था और पानी की कमी से गांववाले चिंतित हो गए, जिससे प्रिंस को अपनी शरारत पर पछतावा हुआ।
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प्रिंस ने अपनी गलती स्वीकार की और मुखिया को सब कुछ बता दिया। मुखिया ने उसे सजा दी कि वह पूरे गांव के पानी की जरूरत पूरी करने में मदद करेगा।
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प्रिंस ने मेहनत से पत्थर हटाया और पानी निकालने में सबकी मदद की, जिससे उसका व्यवहार बदल गया।
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इस घटना के बाद प्रिंस ने कभी ऐसी शरारत नहीं की जिससे किसी को नुकसान हो, और वह हमेशा लोगों की मदद करने के लिए आगे रहता।
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कहानी हमें सिखाती है कि शरारतें मजेदार होनी चाहिए, लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
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गलती होने पर उसे सुधारने और उससे सीखने का साहस रखना चाहिए।
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