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यह कहानी राजकुमारी मीरा की है, जो बीमार पड़ने के बाद चाँद की इच्छा करती है। उसकी मासूमियत और जोकर चंदू की चतुराई से यह कहानी हास्य और चतुराई का अद्भुत मेल बन जाती है।
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मीरा के बीमार होने पर राजा चिंतित हो जाता है और उसकी खुशी के लिए चाँद लाने का वादा करता है। परंतु, प्रधानमंत्री, सेनापति और खजांची सभी चाँद लाने में असमर्थ होते हैं।
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जब दरबारी जोकर चंदू से पूछा जाता है, तो वह मीरा से चाँद के आकार और सामग्री के बारे में पूछता है। मीरा कहती है कि उसे नाखून जितना सोने का चाँद चाहिए।
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चंदू सुनार से सोने का छोटा चाँद बनवाता है और मीरा को देता है, जिससे मीरा की तबीयत ठीक होने लगती है। मीरा खुशी से नाचने लगती है और उसे गले में पहन लेती है।
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राजा को चिंता होती है कि अगर मीरा आसमान का चाँद देखेगी, तो क्या होगा। परंतु, मीरा की मासूमियत से वह समस्या भी हल हो जाती है।
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मीरा कहती है कि जैसे टूटे दांत के बाद नया दांत आता है, वैसे ही नया चाँद भी आ गया। यह सुनकर राजा राहत की साँस लेता है और चंदू को गले लगाता है।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि समझदारी और मासूमियत से हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
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दिल की खुशी दिखावे से अधिक महत्वपूर्ण होती है।
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यह कहानी बच्चों के लिए प्रेरणादायक है और यह बताती है कि कैसे सरलता और चतुराई से जीवन की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
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