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"खरगोश की गलती" एक प्रेरणादायक जंगल की कहानी है, जिसमें एक जल्दबाज़ खरगोश चंचल अपनी गलती से सीखता है कि सोच-समझकर फैसले लेना कितना महत्वपूर्ण है।
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चंचल, जो तेज़ और चालाक है, जल्दबाज़ी में गलत फैसले लेता है। उसे जंगल के जानवर प्यार करते हैं, लेकिन उसकी जल्दबाज़ी के कारण उसे हमेशा चेतावनी देते रहते हैं।
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धीरज नाम का एक समझदार कछुआ उसे सलाह देता है कि हर काम सोच-समझकर करना चाहिए, लेकिन चंचल उसकी बात नहीं मानता।
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एक दिन, चालाक लोमड़ी चतुराई, चंचल को जंगल के सबसे ऊँचे पहाड़ पर चढ़ने की चुनौती देती है, जिसे वह जल्दबाज़ी में स्वीकार कर लेता है।
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पहाड़ पर चढ़ते समय, चंचल एक खतरनाक खाई में गिर जाता है और चोटिल हो जाता है। उसकी चीख सुनकर जंगल के जानवर उसकी मदद के लिए पहुँचते हैं।
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धीरज, चतुराई और भालू भोलू की मदद से चंचल को खाई से बाहर निकाला जाता है और उसकी चोट का इलाज किया जाता है।
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अपनी गलती से सीखते हुए, चंचल धीरज से माफी मांगता है और वादा करता है कि वह अब से सोच-समझकर फैसले लेगा।
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जंगल के जानवर चंचल की हिम्मत और सीख को देखकर एक उत्सव मनाते हैं, जिसमें सभी ने खुशियाँ मनाई।
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कहानी से बच्चों को सीख मिलती है कि जल्दबाज़ी से मुसीबत हो सकती है, बड़ों की सलाह माननी चाहिए, और अपनी गलतियों से सीखना चाहिए।
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यह कहानी बच्चों को धैर्य और हिम्मत के महत्व के बारे में भी सिखाती है, और दोस्ती व मदद के मूल्य को दर्शाती है।
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