राजा शिवि और कबूतर और बाज की कहानी

Nov 22, 2025, 01:18 PM

राजा शिवि और कबूतर और बाज की कहानी

राजा शिवि अपनी दया और परोपकार के लिए प्रसिद्ध थे और उनके राज्य में किसी को भी दुखी नहीं रहने दिया जाता था।

राजा शिवि और कबूतर और बाज की कहानी

इंद्र और अग्निदेव ने राजा शिवि की दया की परीक्षा लेने का निश्चय किया

राजा शिवि और कबूतर और बाज की कहानी

और बाज और कबूतर का रूप धारण कर राजा के दरबार में पहुंचे।

राजा शिवि और कबूतर और बाज की कहानी

घबराया हुआ कबूतर राजा की गोद में छिप गया और अपनी जान की भीख मांगी, जबकि बाज ने उसे अपना शिकार बताया।

राजा शिवि और कबूतर और बाज की कहानी

राजा शिवि ने अपने वचन का पालन करते हुए कबूतर की रक्षा के लिए अपने शरीर से मांस काटकर देने का निर्णय लिया।

राजा शिवि और कबूतर और बाज की कहानी

तराजू पर कबूतर के बराबर मांस रखने के बावजूद, पलड़ा नहीं हिला, तब राजा ने खुद को तराजू पर बैठा दिया।

राजा शिवि और कबूतर और बाज की कहानी

इंद्र और अग्निदेव ने अपनी असली पहचान प्रकट की और राजा शिवि की दया को सराहा, उनके घाव भी ठीक कर दिए।

राजा शिवि और कबूतर और बाज की कहानी

इंद्र ने राजा की दया को अमर बताते हुए कहा कि उनका नाम महाभारत में गूंजेगा।

राजा शिवि और कबूतर और बाज की कहानी

इस कहानी से यह सीख मिलती है कि सच्ची दया में अपनी जान की बाजी भी लगाई जा सकती है और भगवान हमेशा ऐसे लोगों के साथ होते हैं।