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यह कहानी एक राजा जयदेव और उनकी नन्ही बेटी राजकुमारी चित्रा की है, जिनकी चाँद पाने की ज़िद ने पूरे राज्य को हिला दिया था।
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राजकुमारी चित्रा चाँद को देखकर इतनी मंत्रमुग्ध हो गई कि उसे पाना चाहती थी। जब उसकी ज़िद पूरी नहीं हुई, तो उसने खाना-पीना छोड़ दिया और बीमार पड़ गई।
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राजा ने घोषणा की कि जो व्यक्ति राजकुमारी के लिए चाँद तोड़कर लाएगा, उसे सोने और रत्नों से धनवान बना दिया जाएगा।
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एक बुद्धिमान व्यापारी रत्नपाल ने सरल सोच और बुद्धिमानी से समस्या का समाधान किया। उसने राजकुमारी से बातचीत कर चाँद का उसके लिए सही आकार और रंग जान लिया।
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रत्नपाल ने बाज़ार से चाँदी का एक छोटा सा चाँद बनवाया और राजकुमारी को दिया, जिससे वह खुश हो गई और उसकी तबीयत ठीक हो गई।
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राजा को चिंता थी कि रात में जब राजकुमारी आकाश में चाँद देखेगी, तो वह फिर से उदास हो जाएगी। रत्नपाल ने इसका भी समाधान निकाला।
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रत्नपाल ने राजकुमारी को समझाया कि जैसे टूटे दांत की जगह नया दांत आता है, वैसे ही आकाश में नया चाँद उग आया है।
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कहानी की सीख यह है कि बड़ी समस्याएँ कभी-कभी सरल सोच और सही दृष्टिकोण से हल की जा सकती हैं।
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यह कहानी बच्चों को सरलता और रचनात्मक सोच का महत्व सिखाती है, और यह दिखाती है कि कभी-कभी समस्याओं का समाधान हमारी सोच में ही छिपा होता है।
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