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श्रीलंका के त्रिंकोमाली में स्थित पथिराकालियम्मन मंदिर रामायण काल से जुड़ा एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जो उस ज़मीन पर बना है जहाँ कभी रावण का शासन था।
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यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला शैली में बना है, जो दक्षिण भारतीय मंदिरों की तरह दिखता है और इसका गोपुरम (प्रवेश द्वार पर बना टॉवर) हिंदू देवी-देवताओं की कहानियाँ दर्शाता है।
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मंदिर हिंद महासागर के किनारे पर स्थित है, जहाँ से समुद्र का नज़ारा बेहद सुंदर दिखता है और वहाँ बैठकर समुद्र की लहरों की आवाज़ सुनना एक सुखद अनुभव होता है।
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पथिराकालियम्मन मंदिर के पास ही कोनेश्वरम् मंदिर भी स्थित है, जो शिव जी के पंच ईश्वरम् में से एक है, जिससे इस स्थान का धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है।
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त्रिंकोमाली का यह मंदिर सिर्फ़ पूजा का स्थान नहीं, बल्कि सदियों से तमिल संस्कृति, भाषा और धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और लोगों की आस्था का मज़बूत स्थल है।
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मंदिर की सुंदर कलाकारी और रंग-बिरंगे गोपुरम को देखना एक अद्भुत अनुभव है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।
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यहाँ आकर लोग तमिल संस्कृति और उनके इतिहास के बारे में जान सकते हैं और रामायण काल की कहानियों और मान्यताओं को समझ सकते हैं।
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पथिराकालियम्मन मंदिर एक ऐसी जगह है जहाँ इतिहास और कहानियाँ आज भी जीवित हैं,
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और यह स्थान रावण के राज में भी भगवान की महिमा का प्रतीक रहा है।
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