Read Full Story
एक राजा अपने दरबार के बुद्धिमान मंत्री पर बहुत भरोसा करता था, लेकिन मंत्री के बेटे की आदतों को लेकर दरबार में चर्चाएँ होती थीं और राजा को भी चिंता थी।
Read Full Story
दरबार में मंत्री के बेटे का मजाक उड़ाया जाता था क्योंकि जब राजा उससे पूछते थे कि सोने और चांदी में से कौन अधिक कीमती है, तो वह हमेशा चांदी कहता था।
Read Full Story
मंत्री ने अपने बेटे से पूछा कि वह सोने के बजाय चांदी क्यों चुनता है, तो बेटे ने बताया कि वह चांदी इसलिए चुनता है ताकि राजा उसे बार-बार बुलाएं और हर बार चांदी का सिक्का दें।
Read Full Story
बेटे ने समझाया कि अगर वह एक बार सोना चुन लेता, तो राजा उसे बुलाना बंद कर देते और उसके चांदी के सिक्के आना भी रुक जाते।
Read Full Story
मंत्री ने राजा को बताया कि उसका बेटा मूर्ख नहीं है, बल्कि बहुत चतुर है। उसने जानबूझकर कम मूल्य की चीज उठाकर लगातार लाभ उठाना सीखा है।
Read Full Story
राजा ने मंत्री के बेटे की चतुराई को सराहा और उसे दरबार का चतुर बालक घोषित किया।
Read Full Story
मंत्री ने राजा को यह भी समझाया कि जीवन में हर परिस्थिति के अनुसार समझदारी से काम लेना चाहिए और जो आसानी से मिल सकता है, उसे पाने की कला सीखनी चाहिए।
Read Full Story
यह कहानी सिखाती है कि दिखावे के चक्कर में न पड़ें और सही अवसर और रणनीति से लंबे समय तक लाभ उठाएं।
Read Full Story
चतुराई हर परिस्थिति में जीत दिलाती है।
Read Full Story