निष्ठा और श्रम का परिणाम: सर Sir Ganesh Dutt Singh की कहानी

Jun 17, 2025, 11:00 AM

निष्ठा और श्रम का परिणाम

बिहार के युवा जमींदार सर गणेश दत्त सिंह को पहले शिक्षा का महत्त्व नहीं समझ आता था

निष्ठा और श्रम का परिणाम

और उन्हें लगता था कि धन-संपत्ति से जीवन आसान हो जाएगा।

निष्ठा और श्रम का परिणाम

एक कानूनी काम के दौरान पटना कोर्ट में समय लगने से उन्हें शिक्षा की कमी का अहसास हुआ, जिससे उनका दृष्टिकोण बदल गया।

निष्ठा और श्रम का परिणाम

इस घटना के बाद, उन्होंने अपने गाँव लौटकर पूरी निष्ठा और मेहनत से पढ़ाई शुरू की और धीरे-धीरे पढ़ना-लिखना सीख लिया।

निष्ठा और श्रम का परिणाम

उनकी सच्ची लगन और मेहनत ने उन्हें समाज में एक सम्मानित स्थान दिलाया और ब्रिटिश सरकार ने उन्हें "सर" की उपाधि से सम्मानित किया।

निष्ठा और श्रम का परिणाम

सन 1926 में, वे बिहार प्रांत में स्वायत्त शासन के मंत्री बने और अपनी आय का उपयोग धर्मशालाओं, अन्नालयों और निर्धन छात्रों की सहायता में किया।

निष्ठा और श्रम का परिणाम

उनका मानना था कि शिक्षा ही समाज की उन्नति का आधार है और यह उनके जीवन का उद्देश्य बन गया।

निष्ठा और श्रम का परिणाम

आज भी बिहार में सर गणेश दत्त सिंह का नाम आदर से लिया जाता है और लोग उनके योगदान और निष्ठा से प्रेरणा लेते हैं।

निष्ठा और श्रम का परिणाम

उनका जीवन यह सिखाता है कि सच्ची लगन और मेहनत से जीवन में सब कुछ हासिल किया जा सकता है।