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रोनक, जो नई दिल्ली में रहता है, को नई तकनीक और खासकर ड्रोन उड़ाने का बहुत शौक था। उसे अपने स्कूल के विज्ञान मेले में भाग लेने का मौका मिला।
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रोनक ने अपनी मां से ड्रोन के लिए कहा, लेकिन महंगा होने के कारण उसने अपने दोस्त राज से मदद मांगी। दोनों ने मिलकर इंटरनेट से जानकारी इकट्ठा की और एक ड्रोन बनाने की योजना बनाई।
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उन्होंने पुरानी चीजों जैसे प्लास्टिक की बोतलें, मोटर्स, और कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करके एक ड्रोन तैयार किया।
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विज्ञान मेले के दिन, रोनक और राज ने अपने ड्रोन को उड़ाया, जिसे देखकर सभी लोग आश्चर्यचकित थे। लेकिन ड्रोन अचानक एक पेड़ में फंस गया।
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हिम्मत न हारते हुए, दोनों ने ड्रोन को नीचे लाने की कोशिश की। तभी अजय नामक एक बच्चा, जिसने अपने पिता से मदद मांगी, ने उनकी मदद की।
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अजय के पिता, जो एक अनुभवी पायलट थे, ने ड्रोन को आसानी से नीचे लाने में मदद की। रोनक और राज ने अजय का धन्यवाद किया और सीखा कि दूसरों से मदद मांगने में कोई शर्म नहीं होती।
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इस अनुभव ने उन्हें यह सिखाया कि दोस्ती और सहयोग से बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना किया जा सकता है।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि तकनीक के साथ-साथ दोस्ती और सहयोग भी महत्वपूर्ण हैं।
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यह बच्चों को प्रेरित करती है कि वे अपने सपनों के पीछे मेहनत करें और कभी हार न मानें।
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