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यह कहानी एक राजा और उसके बुद्धिमान सलाहकार रमेश की है, जो जीवन के कठिन समय में धैर्य और समझदारी का महत्व सिखाती है।
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राजा विक्रम और उनके सलाहकार जंगल में शिकार के लिए गए, जहाँ राजा की उंगली में कांटा चुभने से उन्हें चोट लगी।
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रमेश ने कहा कि जो होता है, वह अच्छे के लिए होता है, लेकिन राजा ने गुस्से में आकर उसे जेल में डाल दिया।
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कुछ कबीले के लोगों ने राजा को बलि के लिए पकड़ लिया, परंतु उनकी चोटिल उंगली देखकर उन्हें छोड़ दिया, जिससे राजा की जान बच गई।
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राजा को एहसास हुआ कि रमेश की बात सही थी और उसने रमेश को जेल से बाहर निकाला और गले लगाया।
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रमेश ने बताया कि जेल में होने की वजह से उसकी जान बच गई, क्योंकि कबीले वालों ने उसे बलि के लिए नहीं पकड़ा।
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राजा ने रमेश को सम्मानित किया और प्रजा को इस घटना से सिखाया कि हर बुराई में अच्छाई छिपी होती है।
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आगे चलकर राजा ने कबीले वालों से दोस्ती की और मिलकर एक शिकारी को जंगल से बाहर भगाया।
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इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि धैर्य और समझदारी से हर मुश्किल का हल निकलता है और जो भी होता है, वह अच्छे के लिए होता है।
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