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कहानी एक नटखट बंदर चीकू और एक शांत स्वभाव के हाथी गप्पू की गहरी दोस्ती पर केंद्रित है, जो जंगल के किनारे एक बरगद के पेड़ के नीचे रहती थी।
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चीकू एक प्रतियोगिता जीतने के बाद घमंड में आकर गप्पू का मज़ाक उड़ाने लगता है, उसे धीमा और बेकार कहता है, जिससे उनकी दोस्ती में दरार आ जाती है।
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गप्पू भी गुस्से में चीकू को चिढ़ाता है और दोनों के बीच बोलचाल में कड़वाहट आ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी दोस्ती टूट जाती है।
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चीकू की शरारतें जारी रहती हैं और एक दिन वह गप्पू को चोट पहुँचाने के लिए उसके पास जाता है, जिससे गप्पू उसे नदी में फेंक देता है।
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चीकू डूबने लगता है और गप्पू की मदद के लिए चिल्लाता है, तब गप्पू अपनी सूंड से उसे पकड़कर सुरक्षित बाहर निकालता है।
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चीकू अपने व्यवहार के लिए शर्मिंदा होता है और गप्पू से माफ़ी माँगता है, गप्पू उसे माफ कर देता है और उनकी दोस्ती फिर से मजबूत हो जाती है।
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कहानी यह सिखाती है कि घमंड और गुस्सा रिश्तों को नुकसान पहुँचा सकते हैं, लेकिन विनम्रता और क्षमा से सच्ची मित्रता बनी रहती है।
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कहानी का मुख्य संदेश है कि हमें अपने गुणों पर घमंड नहीं करना चाहिए और न ही दूसरों को उनकी कमियों के लिए चिढ़ाना चाहिए।
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सच्ची दोस्ती में माफ़ी का स्थान बहुत बड़ा होता है, और यह रिश्तों को और भी मज़बूत बनाता है।
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