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मोहन नाम का व्यक्ति ध्यान और योग का शौकीन था, लेकिन ध्यान करते समय उसका मन इधर-उधर भटक जाता था।
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मोहन को ध्यान के दौरान बंदरों की छवियाँ बार-बार दिखाई देती थीं, जिससे वह परेशान हो गया और गुरुजी के पास मदद के लिए गया।
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गुरुजी ने उसे सलाह दी कि ध्यान करते समय 'बंदर के बारे में बिल्कुल मत सोचना', लेकिन यह सलाह उल्टा असर कर गई और मोहन के ध्यान में केवल बंदर ही बंदर आने लगे।
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मोहन को एहसास हुआ कि जिस चीज के बारे में वह 'मत सोचने' की कोशिश कर रहा था, वही उसके दिमाग में और ज्यादा आती जा रही थी।
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गुरुजी ने समझाया कि ध्यान का रहस्य यह है कि जिस चीज को सोचना चाहते हो, उसी पर ध्यान केंद्रित करो, न कि किसी चीज़ को जबरदस्ती रोकने की कोशिश करो।
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मोहन ने सीखा कि अपने मन को सकारात्मक विचारों से भरना जरूरी है और उसे बंदरों के बजाय भगवान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें जिस चीज को भूलना है, उसके बारे में 'मत सोचने' की बजाय अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगानी चाहिए।
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ध्यान में सफलता के लिए मन को नियंत्रित करने के लिए सही दिशा में सोचने की आवश्यकता होती है।
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मन को नियंत्रित करने के लिए सही दिशा में सोचो, न कि किसी चीज़ को जबरदस्ती रोकने की कोशिश करो।
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