सारस और लोमड़ी की चतुराई
जैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ करते हैं, वैसा ही हमें वापस मिलता है।
जैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ करते हैं, वैसा ही हमें वापस मिलता है।
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एक घने जंगल में एक चतुर लोमड़ी और एक समझदार सारस रहते थे, जिनकी अच्छी दोस्ती थी और वे अक्सर मिलते थे।
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लोमड़ी को दूसरों को धोखा देने की आदत थी और एक दिन उसने सारस के साथ मजाक करने का सोचा।
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लोमड़ी ने सारस को अपने घर भोजन पर आमंत्रित किया और जानबूझकर पतली खिचड़ी बड़ी थालियों में परोसी, जिसे सारस अपनी लंबी चोंच की वजह से नहीं खा पाया।
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सारस ने बिना गुस्सा किए चालाकी से अपनी बारी का इंतजार किया और लोमड़ी को अगले दिन अपने घर भोजन के लिए बुलाया।
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सारस ने मछलियाँ लंबी और पतली सुराही में परोसीं, जिसकी संकरी गर्दन में लोमड़ी का मुँह नहीं जा पाया, जबकि सारस अपनी चोंच से आसानी से खा सका।
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लोमड़ी को अपनी गलती का एहसास हुआ जब वह मछलियाँ नहीं खा पाई और शर्मिंदा होकर बिना खाए घर लौट गई।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि जैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ करते हैं, वैसा ही हमें लौटकर मिलता है।
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दूसरों के साथ चालाकी या धोखा करने से अंततः हमें ही नुकसान हो सकता है, और बुद्धिमानी से अपमान का जवाब देना सबसे अच्छा तरीका है।
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