जंगल कहानी - शरारती बंदर और जिराफ

लोटपोट वन में राजू बंदर की शरारतों से सभी जानवर बहुत परेशान थे। वह न तो स्कूल में और न ही घर के आसपास किसी की बात सुनता था और हमेशा शरारत करता रहता था।

एक बार, हिंदी के टीचर ने राजू को डांट लगाई, जिससे नाराज होकर राजू ने टीचर की कुर्सी पर खुजली की पत्ती रख दी।

राजू घर के पड़ोसियों को भी परेशान करता था, जैसे कि भैंसों की पूंछ के बाल कुतरना और चिड़ियों के अंडे और घोंसले तोड़ना।

स्कूल से घर जाते समय, राजू ने एक लंगड़े जिराफ को चिढ़ाया और उसकी पिटाई के डर से सड़क पर छलांग लगा दी, जिससे वह कार की चपेट में आ गया।

जिराफ ने राजू को अस्पताल पहुंचाने में मदद की और उसके ऑपरेशन के लिए अपना खून भी दिया।

अस्पताल में डॉक्टरों ने बताया कि राजू की हड्डी टूट गई है और उसे गंभीर चोटें आई हैं।

राजू के होश में आने पर डॉक्टरों ने उसके माता-पिता को बताया कि जिराफ की वजह से ही राजू की जान बची।

जिराफ की मदद और दयालुता देखकर राजू की आंखों में आंसू आ गए और उसने जिराफ से माफी मांगी।

इस घटना ने राजू को सिखाया कि बिना वजह किसी को परेशान नहीं करना चाहिए और अपनी गलती का परिणाम स्वयं भुगतना पड़ सकता है।

कहानी का संदेश है कि दया और मदद से किसी की जिंदगी बदल सकती है और हमें हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहना चाहिए।